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अपने नाम को सार्थक करते आधुनिक श्री कृष्ण कुमार यादव ।
भारतीय डाक सेवा में अधिकारी. सूरत, लखनऊ, कानपुर के बाद फ़िलहाल निदेशक पद पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में. जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर आज़मगढ़ से 1994 में इंटर एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति-शास्त्र में परास्नातक. डाक सेवाओं मूलत: चिट्ठियों से मेरा गहरा नाता है. इसलिए नहीं कि मैं डाक विभाग से जुड़ा हूँ, बल्कि इसलिए भी कि मैं साहित्य से जुड़ा हूँ. समय मिलता है तो कुछ लिख-रच लेता हूँ. एक काव्यसंकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन. भारतीय डाक पर- ''India Post : 150 Glorious Years'' पुस्तक प्रकाशित. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा (कानपुर)" व "गुफ्तगू (इलाहाबाद)" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी. शोधार्थियों हेतु व्यक्तित्व-कृतित्व पर इलाहाबाद से "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (सं0- दुर्गाचरण मिश्र) प्रकाशित. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, छपते-छपते, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज,शुक्रवार, अक्षर पर्व, अक्षर शिल्पी, युग तेवर, मधुमती, गोलकोंडा दर्पण, इन्द्रप्रस्थ भारती, शेष, अक्सर, आधारशिला, वीणा, इरावती, योजना, साहिती सारिका, परती पलार, युगीन काव्या, अलाव, अभिनव कदम, शब्द, समर लोक, सरस्वती सुमन, सनद, बयान, युद्धरत आम आदमी, संवेद वाराणसी, हरसिंगार, संकल्य, प्रसंगम, इत्यादि सहित 250 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित संकलनों में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. अंतर्जाल पर सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, हिंदी मीडिया, काव्यांजलि, स्वतंत्र आवाज़, शब्दकार, समय दर्पण, युग मानस, कथा व्यथा, स्वर्गविभा, वांग्मय पत्रिका, कलायन, आखर कलश, सप्तरंगी प्रेम इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर, पोर्टब्लेयर से कविताओं, सामयिक लेख, वार्ता का समय-समय पर प्रसारण. अंतर्जाल पर 'शब्द सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग का सञ्चालन. तमाम ब्लॉगों में सहभागिता. कानपुर में मेरे विदाई-समारोह में चर्चित साहित्यकार और लेखक पद्मश्री गिरिराज किशोर जी ने एक बड़ी अच्छी बात कही कि- " चिट्ठियों और साहित्य दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता है." यह अनायास ही नहीं है कि दुनिया की तमाम नामी-गिरामी हस्तियों का किसी न किसी रूप में इस संवेदनशील डाक व्यवस्था से जुड़ाव रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन पोस्टमैन तो भारत में पदस्थ वायसराय लार्ड रीडिंग डाक वाहक रहे। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक व नोबेल पुरस्कार विजेता सी0वी0 रमन भारतीय डाक विभाग में अधिकारी रहे वहीं प्रसिद्ध साहित्यकार व ‘नील दर्पण‘ पुस्तक के लेखक दीनबन्धु मित्र पोस्टमास्टर थे। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार पी0वी0अखिलंदम, राजनगर उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमियभूषण मजूमदार, फिल्म निर्माता व लेखक पद्मश्री राजेन्द्र सिंह बेदी, मशहूर फिल्म अभिनेता देवानन्द डाक व्यवस्था से जुड़े रहे हैं। उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द जी के पिता अजायबलाल डाक विभाग में ही क्लर्क रहे। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी ने आरम्भ में डाक-तार विभाग में काम किया था तो प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु भी पोस्टमैन रहे। सुविख्यात उर्दू समीक्षक पद्मश्री शम्सुररहमान फारूकी, शायर कृष्ण बिहारी नूर, महाराष्ट्र के प्रसिद्ध किसान नेता शरद जोशी सहित तमाम विभूतियाँ डाक विभाग से जुड़ी रहीं। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती भी डाक-तार विभाग के कर्मचारी की ही पुत्री हैं। साहित्य जगत में अपनी पहचान स्थापित करने वाले तमाम चर्चित नाम- कवि तेजराम शर्मा, कहानीकार दीपक कुमार बुदकी, कथाकार ए. एन. नन्द, शायर मु०अब्दाली, गीतकार राम प्रकाश शतदल, गजलकार केशव शरण, कहानीकार व समीक्षक गोवर्धन यादव, बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबंधु, लघु कथाकार बलराम, लघु कथाकार कालीचरण प्रेमी, लघु कथाकार अनुराग लाक्षाकर, मंचीय कवि जवाहर लाल 'जलज', शारदानंद दुबे, जितेन्द्र कुमार, शायर आलम खुर्शीद इत्यादि भारतीय डाक विभाग की समृद्ध परंपरा के ही अंग हैं। कहना गलत न होगा कि तमाम मशहूर शख्सियतें डाक विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहीं और मुझे गौरव है कि मैं भी इसी व्यवस्था का अभिन्न अंग हूँ. अंतर्जाल पर आप मेरे ब्लॉग 'शब्द सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' पर मेरी अभिव्यक्तियों और भावनाओं से परिचित हो सकते हैं !!
आपका लेख यदुकुल पर प्रकाशित हो चुका है. सहयोग के लिए धन्यवाद !!
ReplyDeleteraja ram ji this is good that you have a proud on to be a yadav . as you also maintained in your profile "I am yadav".
ReplyDeleteplease don't mind but its not only your greatness . you are topper . in the present scenario in our country all the politicians are always talking enough about casts and religion..
we are the writers and also the "mature citizens" .
so is it not good that first we proud on to be an Indian .
i hope you will not take be wrong ..
आपके ब्लॉग पर पहली बार आगमन हुआ...अच्छा प्रयास है आपका. के.के. जी को यहाँ देखकर सुखद अनुभूति हुई.
ReplyDeleteNice Blog...!!
ReplyDeleteके.के.सर किसी जाति के नहीं बल्कि देश की अनुपम धरोहर हैं, जो प्रशासन, साहित्य, ब्लागिंग में एक साथ ना सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि औरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं.
ReplyDeleteबहुमुखी प्रतिभा कृष्ण कुमार जी के बारे में पढ़कर/जानकर असीम प्रसन्नता हुई. नेताओं की बजाय यदि आप ऐसी प्रतिभाओं से परिचय करायेंगें तो आपका ब्लॉग सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकेगा.
ReplyDeleteके.के. सर के बारे में पढ़कर अच्छा लगा. वे तमाम युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं. हम तो बस यही कहेंगें-
ReplyDeleteसाहित्य का प्रकाश यूँ ही चारों तरफ फैलाते रहें
कृष्ण बनकर जग का अँधियारा भगाते रहें.
भंवर सिंह यादव
संपादक- यादव साम्राज्य, कानपुर.